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गुरुवार, 12 जुलाई 2012

लघु मेडिकल कथा (लमेक) - पंकज कुमार

ओह्ह्ह प्लीज़ मुझे नहीं लगवाना इंजेक्सन...प्लीज़ मेरी बात सुनो 
नहीं सिस्टर प्लीज़ मुझे tablet दे दो मै नहीं ले सकती इंजेक्सन
देखिये इशा मैडम अगर आप सुई नहीं लेंगी तो आपकी बीमारी ठीक नहीं हो पायेगी 
मुझे अपना काम करने दीजिये
उईइ माँ आह्ह्ह ओह्ह्ह...धीरे सिस्टर ओह्ह्ह
हो गया सिस्टर ?
हाँ आप रुई को दबा के रखिये
सामने वाले बेड पर बैठी एक 40 साल की महिला यह सब देख रही थी.
उसने पूछा की बेटी तुम क्या करती हो? और इतना क्यों घबराती हो दर्द से??
जिस तरह से हरेक दवाई की एक्सपायरी होती है ठीक उसी तरह से हमारे दुःख,तकलीफ और बीमारी
की भी एक्सपायरी होती है जिसका डेट हमें नहीं पता होता है..
इतने में सिस्टर उस महिला के पास आकर इन्जेक्सन लगाने के लिए हाथ से कपड़े हटाई
तो इशा फुट फुट कर रोना शुरू कर देती है क्योंकि इशा को उस महिला की बायीं छाती,
जिस पे उभार नहीं थे दिख जाती है..रोते रोते इशा ने पूछा तो पता चलता है की एक महीने पहले ही
ब्रेस्ट कैंसर की सर्जेरी हुई है और अब कुछ दिन के अंतराल पर हॉस्पिटल आना जाना होता है..

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